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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

आप ?

कीचड़ में पत्थर फ़ेंक कर भी 
खुद को पाक कह रहे हैं आप ?

दूसरों पर अंगुली उठाये हुए देखा  ,
तो फिर निर्दोष भी कब रहे हैं आप ?

बहुत आसन है तोहमत लगा देना 
बेकुसूर इससे भी कब रहे हैं आप ? 

वे गुनाह किये थे ये  किस्मत में था ,
गुनाहगार बताकर क्या कर रहे हैं आप ? 

बहुत गम है दुनियां में रोने के लिए 
दूसरों को ग़मगीन क्यों कर रहे हैं आप? 

लफ्जों के तीर जहरीले बहुत होते हैं,
दूसरों को घायल क्यों कर रहे हैं आप ?

कुछ तो ऐसा कीजिये जिन्दगी में 
सुकून औरों को जैसे दे रहे हों आप  ?

3 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सार्थक संदेश देती अभिव्यक्ति

Pallavi saxena ने कहा…

सार्थक संदेश देती अभिव्यक्ति...

vandana gupta ने कहा…

कुछ तो ऐसा कीजिये जिन्दगी में
सुकून औरों को जैसे दे रहे हों आप ?

सटीक संदेश देती सार्थक प्रस्तु्ति