हाइकू लिखना कविता से अच्छा लगता है और अब इसको मैं पूरे हाइकू एक विषय को लेकर ही लिखने का प्रयास कर रही हूँ एक विषय को लेकर लिखना और पढ़ना उसके विभिन्न पहलू प्रस्तुत कर देता है। प्रयास है आप लोगों को कितना सही लगेगा नहीं जानते , लेकिन अगर उचित न लगे तो स्पष्ट बतलाइएगा . आज नारी को ही लिया है.............
इज्जत तेरी
समझें दो कौड़ी की
गिरे लोग हैं .
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सीख ले अब
वार करना तू भी
खुद को बचा .
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हाथ वही है
जरूरत है अब
फौलाद बने।
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भ्रष्ट चरित्र
श्वेत परिधान है
मन काले हैं।
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बेटी जन्मी है
मुखाग्नि भी देगी वो
जंजीरें तोड़ो .
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आरक्षण दो
संरक्षण का वादा
पूरा करेंगे
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सुरक्षित हैं
धरती पर कहाँ
कोई बताये
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भोग्या का रूप
क्यों नजर आता है
बहन भी हैं।
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परदा डाला
करनी पे उनकी
दोषी वही हैं।
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आधी आबादी
अब तो जागो तुम
अस्तित्व रहे।
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आहत मन
कटाक्षों के तीरों से
छलनी हुआ।
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मन की पीड़ा
हौसलों की राह में
रोड़ा न बनें .
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दृढ निश्चय
आकाश में उड़ान
भरो जरूर।
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6 टिप्पणियां:
आप तो हाइकू मे सिद्धहस्त हो गयी हैं।
बहुत बढ़िया
औरत की अस्मिता और उसके हर पहलू पर लिखे गए बढिया हाइकू ...बहुत खूब रेखा दीदी
बेटी जन्मी है
मुखाग्नि भी देगी वो
जंजीरें तोड़ो .... हाइकु, चंद शब्द - गहरे भाव
सही है--साधे रहिये यह विधा भी...
हाइकु अच्छा लगा ..
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