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मंगलवार, 6 मार्च 2012

होली ! होली ! होली!




बुरा न मानो होली है !

रंग की पिटारी बंद रखी है,
हाथ में लिए गुलाल और रोली है।

बुरा न मानो होली है।

मंहगी शक्कर , मंहगी खोया ,
करें क्या गुझिया बनी कुछ पोली है।

बुरा न मानो होली है !

बजे ढोल और बजे मृदंग,
नाच रही थापों पर हुरिआरों की टोली है।

बुरा न मानो होली है !

होली में लगे ससुर भी देवरा ,
डाल रंग घूंघट में बहुरिया बोली है।

बुरा न मानो होली है !

बैठी भौजी राह देखती
देवरा ने कहाँ ठंडाई घोली है।

बुरा न मानो होली है !




7 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

रेखा दीदी ..आपको भी होली की बहुत बहुत शुभकामनएं

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर होलीमय प्रस्तुति………होली की शुभकामनायें।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वाह!
क्या कहने!
होली का रंग यहाँ भी खूब बरस रहा है!
शुभकामनाएँ!

Udan Tashtari ने कहा…

होली की मुबारकबाद!!

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut khoob rang udela hai rachna ne.holi ki shubhkamnayen.

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत सही लिखा है आपने, महंगाई ने होली का मज़ा फींका कर दिया है। अभी तक कोई तैयारी (खरीददारी) नहीं हो पाई है।
देखें आगे-आगे होता है क्या?
होली की शुभकामनाएं।

विभूति" ने कहा…

बहुत ही गहरे रंगों और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....