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बुधवार, 4 मई 2011

उत्तर : अनुत्तरित प्रश्नों के !

एक दिन मन में उठा ये प्रश्न,
अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर क्यों नहीं है?
आवाज एक उठी अंतर से
ये प्रश्न अनुत्तरित इस लिए है
क्योंकि
इनका कोई उत्तर नहीं होता,
खोजोगे भी उत्तर तो
फिर नए प्रश्नों का जन्म होगा,
और प्रश्नों और उत्तरों में ही
जीवन उलझ कर रह जायेगा
सुलझा तो उन्हें अनुत्तरित
छोड़कर भी नहीं है।
इस लिए उन के सवाल पर
काला चश्मा लगा रहने दो
क्योंकि उत्तर देने के लिए
तुमसे आँखें मिलानी होंगी
और काले चश्मे के पीछे छिपी
सुर्ख आँखों की लाली
दिल का हाल बयान कर देंगी।
फिर प्रश्न
उस सुर्खी पर
और उस पर भी
उठे सारे प्रश्न अनुत्तरित रह जायेंगे
इस लिए
कुछ अनुत्तरित प्रश्नों को ही
जीवन का सच बन जाने दो
और सच सिर्फ सच होता है
जिसको नियति ने
प्रारब्ध में लिखा होता है।

5 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

"कुछ अनुत्तरित प्रश्नों को ही
जीवन का सच बन जाने दो
और सच सिर्फ सच होता है
जिसको नियति ने
प्रारब्ध में लिखा होता है।"

बहुत अच्छी लगीं ये पंक्तियाँ.

सादर

वाणी गीत ने कहा…

जिसको नियति ने प्रारब्ध में लिखा होता है ...
फिर और जानने को क्या रहता है ?

मनोज कुमार ने कहा…

रचना मन को लुभा गई!

Udan Tashtari ने कहा…

हम्म!! विचार उत्पन्न करती रचना...अच्छी लगी.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय रेखा श्रीवास्तव जी
नमस्कार !
उस सुर्खी पर
और उस पर भी
उठे सारे प्रश्न अनुत्तरित रह जायेंगे
इस लिए
कुछ अनुत्तरित प्रश्नों को ही
जीवन का सच बन जाने दो
.........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती