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मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

सपनों में घरौंदा !

हर रात को नींद में डूबकर 
सपनों में घरौंदा बनाया हमने

आती रही आंधियां  रोज रोज 
उथल पुथल  ही तो  कर गयीं

बिखरे ख़्वाबों को फिर भी
बड़े जतन  से सजाया हमने,

देखते हैं कि कौन जीतता है?
वो तोड़ने वाला खुदा या हिम्मत हमारी.

कल जब फूलों से सजी शाखें
हमारे महल में महकेंगी सुबह सुबह

मुस्कराएगा खुदा और कहेगा हमसे
तुम जीते हो क्योंकि ऐसा  तुम्हें बनाया हमने.

12 टिप्‍पणियां:

rashmi ravija ने कहा…

मुस्कराएगा खुदा और कहेगा हमसे
तुम जीते हो क्योंकि ऐसा तुम्हें बनाया हमने.

कितनी भी आंधियां आएं...बस यही कोशिश होनी चाहिय ख्वाब सजाना ना छूट जाए

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इन सपनों ओ संभाल कर रखें .. बहुत कीमती होते हैं ....
अच्छा लिखा है ...

shikha varshney ने कहा…

सकारात्मक सन्देश देती कविता.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय रेखा श्रीवास्तव जी
नमस्कार !
बहुत खूब
आपकी लेखनी को नमन बधाई
आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं .

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ दिगम्बर नासवा जी...
आपसे बिलकुल सहमत हूँ
इन सपनों ओ संभाल कर रखें .. बहुत कीमती होते हैं ...

ashish ने कहा…

विश्वास जगाती कविता , सकारात्मक विचारो से सजी कविता दिल के करीब लगी . आभार आपका

नीरज गोस्वामी ने कहा…

देखते हैं कि कौन जीतता है?
वो तोड़ने वाला खुदा या हिम्मत हमारी.

बेहतरीन...वाह...ये खुद्दारी पसंद आई...

नीरज

मनोज कुमार ने कहा…

वो क्या कहते हैं आपके यहां, हिम्मते ... मददे खुदा।
न रास्ता न अब रहनुमा चाहता हूं
न‍ई कोई बांगे-दिरा चाहता हूं
चिराग़ों का दुश्मन नहीं हूं मैं लेकिन
हवाओं का रुख़ मोड़ना चाहता हूं

रश्मि प्रभा... ने कहा…

देखते हैं कि कौन जीतता है?
वो तोड़ने वाला खुदा या हिम्मत हमारी.
khuda kabhi nahi todta , wah to judne ke naye hausle deta hai, naye aayam deta hai.....khuda ne bhi yahi kaha hai n

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब ...सकारात्मक सोच ...प्रेरणादायक रचना

तिलक राज कपूर ने कहा…

ईश्‍वर अपने बच्‍चों के साथ अन्‍याय नहीं करता, हॉं करने को बहुत कुछ दे देता है। अच्‍छे बच्‍चे को ज्‍यादह होमवर्क मिलता है।

निर्मला कपिला ने कहा…

यही सपने तो हमे प्रेरित करते हैं बहुत सुन्दर सकारात्मक सोच। बधाई।