आज मेरे ब्लॉग बनाये हुए दो बरस बीत गए. सफर बहुत ही अच्छा रहा. ये मेरा ब्लॉग ही पहला ब्लॉग थाजिसका नामकारण मैंने अपने मशीन अनुवाद के एक अंश हिंदी जेनरेटर जो की हिंदी वाक्य का निर्माण करता है, के नाम पर किया क्योंकि इसके बारे में कुछ भी नहीं जानती थी. फिर मेरा ये ब्लॉग खो गया और मैंने बंद कर दिया . एक दिन फिर मिला और मैंने इसको कसकर पकड़ लिया. तबसे खोने नहीं दिया और इसके और भी भाई बन्धु साथ हो लिए अपनी अपनी जरूरत के अनुसार सब चल रहे हैं. फिर सफर में मिले बहुत से मित्र, शुभचिंतक, छोटे और बड़े यानि कि बुजुर्गवार भी. अब बुजुर्गवार कौन हैं? ये जो होंगे वे समझ गए होंगे. अरे वही जो मुझसे बहुत पहले से यहाँ ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं. इन सभी से मुझे दिशा निर्देश, सलाह और अपनी कमियों का भान कराया और मैंने उसे स्वीकार कर अपने को सुधारने कि पूरी कोशिश की है.
इस सफर में मैंने क्या पाया? इसमें सबसे पहले मैंने अपनी डायरी में लिखी कविताओं को भी सार्वजिक कर पब्लिश कर दिया. उन तमाम ग़मों, तनावों और खुशियों को जिन्हें अब तक सिर्फ और सिर्फ मैंने जिया था - सबके साथ साझा किया. मैंने खुशियाँ , गम और हर भोगा हुआ यथार्थ साझा किया. मैं हर उस गीली आँख की शुक्रगुजार हूँ, जिसने मेरे आंसुओं को अपनी आँख से बांटा है. मेरे दुःख से दुखी होकर मेरे कंधे पर हाथ रख कर अपनत्व दिया है. बिना देखे, बिना मिले कई प्यारे रिश्ते बने. कई बार सुना हम रिश्तों के मुहताज क्यों हैं? क्या सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से - नहीं जिसने बहन कहा तो भाई स्वीकार है, मित्र कहा तो मित्र - छोटे प्रिय बने तो बड़े बुजुर्गवार. इन्हीं में हम घूमते रहते हैं और ये वर्चुअल रिश्ते भी किन्हीं क्षणों में बहुत संबल देते हैं.
नौकरी और घर के बीच में बहुत तो नहीं पढ़ पाती हूँ, फिर भी कोशिश करती हूँ. गाहे बगाहे ब्लोगिंग में लोगों को गालियाँ देते सुना, शब्दों के तलवार से अपनी ही माँ, बहनों की श्रेणी में आने वाली आधी दुनियाँ की अस्मिता को तार तार करते देखा और उस कृत्य के लिए लोगों को ताली बजाते और कहकहे लगाते भी देखा. बहुत कष्ट हुआ क्योंकि मैं तो प्रबुद्ध वर्ग से ऐसे अपशब्दों की उम्मीद कर ही नहीं सकती थी किन्तु फिर लगा कि इन गालियों और अपशब्दों पर भी तो सबका बराबर का हक है.
- इसका दूसरा पक्ष भी पढ़ा - मन कि अनुभूतियों को शब्दों के कलेवर को सजाकर फूलों से सजी पृष्ठभूमि में सबको नजर करते हुए देखा. मानवता की होती हुई दुर्दशा के विरोध में सबको लिखते देखा और उनके बहुमूल्य विचारों को पढ़ा, लगा कि हम जितने जागरूक हैं अगर समाज उसको जरा सा भी स्वीकार कर ले तो शायद कुछ दूसरा ही नजारा देखने को मिले. सभी ब्लोगर बंधुओं को एक मंच पर लाकर ब्लोगोत्सव जैसे समारोह भी देखे और ब्लॉग्गिंग के लिए समर्पित सम्मान के हकदार लोगों को सम्मानित होते देखा तो लगा लेखन की रचनाधर्मिता और समर्पण का सच्चा इनाम पैसों से नहीं बल्कि उन प्रमाणपत्रों में होती है जो ब्लॉग के साथ सजे नजर आते हैं.
कुल मिलाकर सब कुछ पाया ही है, खोया कुछ भी नहीं. एकाकी क्षणों में अकेला कभी नहीं पाया बल्कि और सक्रियता बढ़ गयी. पहले ऑफिस में, मैं बस अपना ऑरकुट अकाउंट खोल कर देख लेती थी और मेरे सहकर्मी कहते बस ऑरकुट ही. और अब वह बंद बस ब्लॉग ही. वो तो है, बीच बीच में खोल कर पढ़ लेती हूँ, देख लेती हूँ और सबसे मिल लेती हूँ. मन को भीड़ नहीं चंद अपनों की जरूरत होती है.
इस पृष्ठभूमि में मैं जन्मी और सिर उठा कर देखा
कहाँ मैं जमीन पर पड़ी और कहाँ वे खड़े देवदार से
उनने हाथ बढ़ा दिया और फिर सहारा लेकर सबका उनके पीछे पीछे ही तो चल रही हूँ अपनी चाल से.
23 टिप्पणियां:
दो बरस की रेखा
पिछले समस्त बरसों की रेखा से
दमदार हुई है
आप समझ रही हैं न
और बड़ी भी है
मोहित भी करती है
और सब जानते-चाहते भी हैं
सफर यह जारी रहे
हर नुक्कड़
प्रत्येक मोड़
नेक हो
।
दो बरस पूरा करने की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ....ऐसे ही सतत सफर चलता रहे.
aanewale kai varsh aapke is safar me jude - shubhkamnayen
हमारी शुभकामनाये की आप ऐसे ही अपने लेखन से ब्लॉग जगत को अभिसिंचित करती रहे..
ब्लॉगिंग के बाद बस ब्लॉगिंग ही होती है ...नेटवर्किंग के लिए समय ही नहीं बचता ...!
पतझड़ सावन बसंत बाहर ...ब्लॉगिंग में भी यही सब चलता है ...:):)
दो वर्ष पूर्ण करने की बहुत बधाई ...और अगले कई वर्षों की लिए अनंत शुभकामनाएं ..!
आपके ब्लॉग के जन्मदिन से 365 दिन की एक नई यात्रा फिर से शुरू होती है। आपकी ये यात्रा मंगलमय और खुशियों से भरी हो। हार्दिक शुभकामनाएं!
पोस्टर!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए!
ब्लॉग के दो वर्ष पूरे हुए ...बहुत बहुत बधाई ...आपका यह सफर निर्बाध गति से बढ़ता रहे ...आपने अपने अनुभव और भावनाएं दोनों ही व्यक्त किन ..अच्छा लगा ...
शुभकामनायें
ब्लोगिंग के दो साल पूरा करने पर बहुत बहुत बधाई...कामना करते हैं के साल दर साल यूँ ही लिखती रहें आगे बढती रहें...
नीरज
रेखा जी ब्लाग की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें।
अविनाश जी,
कविता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद . अहोभाग्य मेरे.
मित्रो एवं बुजुर्गवार ,
सभी लोगों को बहुत बहुत धन्यवाद. बस इसी तरह से हौसला बढ़ाये रखिये शायद आगे इसी तरह से जीवन जीती रहूँ .
--
दो बरस पूरा करने की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ.
वाह ..आखिरी पंक्तियों ने तो दिल ले लिया ..
आपको २ बर्ष पूरे करने की ढेरों बधाई .
ब्लोगिंग के दो साल पूरा करने पर बहुत बधाई...कामना हैं के साल दर साल यूँ ही लिखती रहें आगे बढती रहें...
ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूरे होने पर बहुत बहुत बधाई ....
हमें यहाँ तक लाने में आपका ही तो हाथ है वर्ना हमें कहाँ कुछ आता था.
--
रेखाजी
आपको बहुत बहुत बधाई |
आप अपने अनमोल विचारो से हमारा खजाना भरती रहे |
आपकी हर पोस्ट अर्थ पूर्ण जानकारी से भरपूर रहती है |इसी तरह अनवरत आपकी लेखनी चलती रहे |
शुभकामना |
mai ne do bar tippni di par pablish nahi hui ath mail se de rahi hoo
shobhana
बहुत बहुत बधाई हो..आपकी ये ब्लॉग यात्रा निर्बांध चलती रहें और दो में शून्य भी जुड़ जाए...
आपको पढना हमेशा अच्छा लगता है..
बहुत बहुत शुभकामना
आपके लबों पर रहे सदा मुस्कराहट
चांद भी हंसेगा न सूरज उदास होगा
दिल से मुबारक सब दिन हों आपको
है बस दुआ, हमारा यही प्रयास होगा
इस बहाने आपकी ब्लागिंग यात्रा के बारे में पढ़ने को मिला। बहुत बहुत बधाई।
रेखा जी बधाई। भगवान करे आप और कई वर्षों तक यूँ ही लिखती रहें
Rekha Di!! blogging k through mili hui anmol ratn.......:)
kab hamne ek rishta banaya pata hi nahi chala.......:)
Di bahut saari subhkamnayen.......iss chhote bhai ki aur se........aapke blog ke kuchh hajar varsh jab ho jayen, fir anniversery manayenge..:D
badhai!
नमस्कार,
आपके इस सफ़र में कौन होगा जो आपके साथ खडा नहीं होना चाहेगा. बधाई और शुभकामनायें
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
ब्लॉग की दूसरी वर्ष गाँठ की ढेरों बधाइयाँ...आप सालों साल यूँ ही लिखती रहें और ब्लॉग की वर्ष गाँठ पर वर्षगांठ मनाती रहें...
नीरज
एक टिप्पणी भेजें