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मंगलवार, 3 सितंबर 2024

यादों का प्रवाह!

यादें 
बस एक प्रवाह होती हैं,
बहते हुए समंदर में 
जीवन के गुजर गए 
वक्त की गवाह होती हैं। 

एक आती है 
तो 
उसी से जुड़ी सैकड़ों 
यादें एक सैलाब की तरह 
कभी दिमाग में उमड़ कर 
सिमट नहीं सकती हैं ,
वे इन आँखों से जिया 
एक जीता हुआ ख़्वाब होती हैं। 

अच्छी होती हैं 
या फिर बुरी , 
कटु होती लेकिन 
गुजरे हुए पलों का बहाव होती हैं। 

ठहरती कब हैं? चाहे जैसी भी हों 
जीवन का एक लगाव होती हैं। 
छूटे हुए वापस 
अदृश्य ही सही 
वापस लाने का एक घुमाव होती हैं। 
वक्त वक्त पर उभर कर जेहन में 
मथ कर मन को फिर 
भूल जाने का एक दुर्भाव होती हैं। 
यादें 
सिर्फ एक प्रवाह होती हैं। 

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