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शनिवार, 25 जून 2022

कितना बदल गया संसार !

 

कितना बदल गया संसार !


दर वही,

द्वार वही,

बाड़ी भी वही

बस कुछ दीवारें बढ़ गईं।


कुछ दरवाजे,

कुछ खिड़कियाँ,

पत्थरों औ' रोशनी की 

चमक बस कुछ और बढ़ गई।


आँगन वही,

चेहरे मोहरे वही,

जमीन भी वही

बस धन की दूरियाँ बढ़ गईं।


जीवन वही,

रिश्ते भी वही,

रगों में बहता खून वही,

बस ज़िन्दगी में तल्खियाँ बढ़ गईं।

1 टिप्पणी:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आज शायद यही तरीका राह गया है ज़िन्दगी का । मर्मस्पर्शी रचना ।।