शक्ति और अधिकार का
जब होने लगे दुरूपयोग ,
तब ही होने लगता है
परिणत वियोग में संयोग ,
हरदम मुस्कराती आँखें
जब आंसुओं से भर जाती हैं।
दारुण दुःख की पीड़ा भी
वे मूक बन सह जाती है
मूक, त्रसित औ' उत्पीड़ित
झर-झर बहते अश्रु कण
न मुखरित हो, न हो रुदित
यंत्रणा की पीड़ा सहे हर क्षण
अब ऐसा सम्भव न होगा
कभी तो अन्दर धधकती
ज्वालामुखी फट जायेगी
वह नहीं,
तो बोलेगी उसकी अगन।
क्योंकि , त्रसित औ' कुंठित की
आत्मा कभी मूक नहीं होती
और घातक बन उगलती है
अग्निबाण ,
वाक् शर से करती है
अनदेखा अनजाना विद्रोह।
सह न पाओगे उसका विद्रोह
उसे रोक पाना सम्भव भी नहीं है,
छवि ध्वस्त कर देगी औ'
बेनकाब भी
उन शरीफ चेहरों को
जो दोहरा जीवन जीते हैं।
तुम्हारे हक़ में भी
बेहतर यही होगा उन्हें
मूक न बनाओ,
जीने दो औ' बोलने दो।
ज्वाला शांत होती है
जब मुखरित होती है।
हर आत्मा भी पाषण नहीं होती
जो चुपचाप सहती रहे,
खून के आंसू पीती रहे
दफन हो जाए
बिना जबान खोले
बिना एक शब्द बोले.
जब होने लगे दुरूपयोग ,
तब ही होने लगता है
परिणत वियोग में संयोग ,
हरदम मुस्कराती आँखें
जब आंसुओं से भर जाती हैं।
दारुण दुःख की पीड़ा भी
वे मूक बन सह जाती है
मूक, त्रसित औ' उत्पीड़ित
झर-झर बहते अश्रु कण
न मुखरित हो, न हो रुदित
यंत्रणा की पीड़ा सहे हर क्षण
अब ऐसा सम्भव न होगा
कभी तो अन्दर धधकती
ज्वालामुखी फट जायेगी
वह नहीं,
तो बोलेगी उसकी अगन।
क्योंकि , त्रसित औ' कुंठित की
आत्मा कभी मूक नहीं होती
और घातक बन उगलती है
अग्निबाण ,
वाक् शर से करती है
अनदेखा अनजाना विद्रोह।
सह न पाओगे उसका विद्रोह
उसे रोक पाना सम्भव भी नहीं है,
छवि ध्वस्त कर देगी औ'
बेनकाब भी
उन शरीफ चेहरों को
जो दोहरा जीवन जीते हैं।
तुम्हारे हक़ में भी
बेहतर यही होगा उन्हें
मूक न बनाओ,
जीने दो औ' बोलने दो।
ज्वाला शांत होती है
जब मुखरित होती है।
हर आत्मा भी पाषण नहीं होती
जो चुपचाप सहती रहे,
खून के आंसू पीती रहे
दफन हो जाए
बिना जबान खोले
बिना एक शब्द बोले.
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-02-2019) को "ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं..." (चर्चा अंक-3234)) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
एक टिप्पणी भेजें