मेरी डायरियां
मेरी संवेदनाओं की साक्षी ,
बचपन से अब तक की साथी ,
उम्र के साथ
उनकी उम्र नहीं
उनकी संख्या बढ़ती गयी।
इनकी कीमत
मेरे सिवा
कोई समझ नहीं सकता।
इस घर में,
मैं अपनी थाती
सीने से लगा कर लाई थी।
मुझे मोह नहीं था
कोई मेरे कपडे ले ले
कोई गहने भी ले जाए
पर
हाथ लगाना उन्हें
कतई गवारा न था।
किन्तु
हाय रे किस्मत
मेरी डायरियां
उस वृहत परिवार में
वे आँख की किरकिरी बनी थी ,
क्योंकि
वे मुझे उन सबसे अलग
खड़ा कर रही थी।
वो इज्जत जो मिली
जो चर्चा का विषय बना रही थी।
फिर मेरे घर से जाते ही
वे बेच दी गयीं रद्दी में ,
कुछ पेज ही लिखे थे जिनमें
फाड़ कर उन्हें
व्यंजन की डायरी बना दिया।
मेरे लिखे
मेरे भाव और संवेदनाएं
कोडियों के मिल बिक गए।
पर क्या मुझे
कलम से
कविता से
भावों की अभिव्यक्ति से
कोई वंचित कर पाया ,
शायद नहीं।
हाँ मैं अपनी डायरियों के लिए
आज भी रो लेती हूँ.
उसमें लिखा था
अपने किशोर मन के भावों को ,
उसमें लिखा था
अपने प्रिय स्वर्गीय भाई की यादों को ,
कुछ लोगों ने मिटा दिया।
वे थी उन दर्द भरे लम्हों
और
एक बहन के कष्ट के साक्षी
सब ख़त्म कर दिया।
उनके लिए वह
सिर्फ कागजों का पुलिंदा था।
पर मेरे लिए वे मेरी
जिंदगी सी थीं,
और मेरी जिंदगी का
एक हिस्सा काट कर
मुझे अधूरा बना दिया।
मेरी संवेदनाओं की साक्षी ,
बचपन से अब तक की साथी ,
उम्र के साथ
उनकी उम्र नहीं
उनकी संख्या बढ़ती गयी।
इनकी कीमत
मेरे सिवा
कोई समझ नहीं सकता।
इस घर में,
मैं अपनी थाती
सीने से लगा कर लाई थी।
मुझे मोह नहीं था
कोई मेरे कपडे ले ले
कोई गहने भी ले जाए
पर
हाथ लगाना उन्हें
कतई गवारा न था।
किन्तु
हाय रे किस्मत
मेरी डायरियां
उस वृहत परिवार में
वे आँख की किरकिरी बनी थी ,
क्योंकि
वे मुझे उन सबसे अलग
खड़ा कर रही थी।
वो इज्जत जो मिली
जो चर्चा का विषय बना रही थी।
फिर मेरे घर से जाते ही
वे बेच दी गयीं रद्दी में ,
कुछ पेज ही लिखे थे जिनमें
फाड़ कर उन्हें
व्यंजन की डायरी बना दिया।
मेरे लिखे
मेरे भाव और संवेदनाएं
कोडियों के मिल बिक गए।
पर क्या मुझे
कलम से
कविता से
भावों की अभिव्यक्ति से
कोई वंचित कर पाया ,
शायद नहीं।
हाँ मैं अपनी डायरियों के लिए
आज भी रो लेती हूँ.
उसमें लिखा था
अपने किशोर मन के भावों को ,
उसमें लिखा था
अपने प्रिय स्वर्गीय भाई की यादों को ,
कुछ लोगों ने मिटा दिया।
वे थी उन दर्द भरे लम्हों
और
एक बहन के कष्ट के साक्षी
सब ख़त्म कर दिया।
उनके लिए वह
सिर्फ कागजों का पुलिंदा था।
पर मेरे लिए वे मेरी
जिंदगी सी थीं,
और मेरी जिंदगी का
एक हिस्सा काट कर
मुझे अधूरा बना दिया।
2 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी हैं आपकी डायरियां... भले ही बेच दी गयी हों, अब न जाने कितनी डायरियों की मालकिन हैं आप.
वाह! अति सुंदर रचना.
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