गुरुवार, 22 नवंबर 2012

हाईकू

 निरंकुश वे 
छटपटाते हम 
हल कहाँ है?
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फांसी का फन्दा 
एक की गर्दन में 
बाकी को तो दें । 
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 गोद में कन्या 
दरवाजे बंद हैं 
जाए वो कहाँ? 
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घरेलू हिंसा 
हर घर में जिन्दा 
चीख सुनें तो .
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आधी आबादी 
आज भी आधी जिए 
पूरी  न होगी   .
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अहंकार है 
फिर विद्वता कहाँ? 
सोचो तो जरा.  
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 माथे चन्दन 
गले में धारे हार
पंडित बने .
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10 टिप्‍पणियां:

  1. अहंकार है
    फिर विद्वता कहाँ?
    सोचो तो जरा.
    बहुत ही बढिया हाईकू ... सभी एक से बढ़कर एक

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  2. बहुत बढ़िया .... सामाजिक सरोकार से जुड़े हुये सभी हाइकु बेहतरीन

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  3. सभी हाइकु एक से बढ़कर एक बधाई आपको

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  4. दिखा रहे दर्पण
    भले अनजान बने
    फेरे रहो नयन .

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  5. बहुत ही बेहतरीन हाईकू.......

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  6. कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने |

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  7. घरेलू हिंसा
    हर घर में जिन्दा
    चीख सुनें तो


    बेहतरीन हाईकू

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