शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

हाइकू !

वृद्धाश्रम में
कोई माँ बाप नहीं
सब निरीह .
*********
सुनामी आई
सब कुछ बिखरा
खंडहर है.
**********
जो जी रहे है
दोहरा व्यक्तित्व
यकीन नहीं.
*********
जघन्य पाप
निर्णय संतान का
मत अपना.
*********
तू देवता है
मत बिक पैसों में
जीव आने दो.
*********
वही साँसें है,
धड़कन भी वही
कोई हो जीव.
*********
उनके हाथ
फैले है सामने
कुछ तो दे दो.
**********
अर्थ के अर्थ
बदल गए हें न
अर्थहीन हैं
********

10 टिप्‍पणियां:

  1. हर हाइकु के गहन अर्थ ... चिंतन योग्य

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  2. वृद्धाश्रम में
    कोई माँ बाप नहीं
    सब निरीह .

    ....बहुत मर्मस्पर्शी..सभी हाइकु गहन अर्थ संजोये..

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  3. गहन भाव लिए अच्छे हाइकु ।

    जो जी रहे है
    दोहरा व्यक्तित्व
    यकीन नहीं.
    *********

    उनके हाथ
    फैले है सामने
    कुछ तो दे दो.

    इन दो हाइकु मेन दूसरी पंक्ति देखिएगा ... 7 वर्ण नहीं बन रहे

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  4. उनके हाथ
    फैले है सामने
    कुछ तो दे दो.

    mere bhi:)
    behtareen!!

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  5. सारे हाइकू गहन अर्थ समेटे हुये

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  6. हर हाइकू ...अपने आप में पूर्ण

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  8. गहन अर्थ समेटे सभी हाइकु शानदार !!

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  9. हर इक
    हाइकू
    बस लाजबाब.

    आभार रेखा जी.

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