वृद्धाश्रम में
कोई माँ बाप नहीं
सब निरीह .
*********
सुनामी आई
सब कुछ बिखरा
खंडहर है.
**********
जो जी रहे है
दोहरा व्यक्तित्व
यकीन नहीं.
*********
जघन्य पाप
निर्णय संतान का
मत अपना.
*********
तू देवता है
मत बिक पैसों में
जीव आने दो.
*********
वही साँसें है,
धड़कन भी वही
कोई हो जीव.
*********
उनके हाथ
फैले है सामने
कुछ तो दे दो.
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अर्थ के अर्थ
बदल गए हें न
अर्थहीन हैं
********
कोई माँ बाप नहीं
सब निरीह .
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सुनामी आई
सब कुछ बिखरा
खंडहर है.
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जो जी रहे है
दोहरा व्यक्तित्व
यकीन नहीं.
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जघन्य पाप
निर्णय संतान का
मत अपना.
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तू देवता है
मत बिक पैसों में
जीव आने दो.
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वही साँसें है,
धड़कन भी वही
कोई हो जीव.
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उनके हाथ
फैले है सामने
कुछ तो दे दो.
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अर्थ के अर्थ
बदल गए हें न
अर्थहीन हैं
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हर हाइकु के गहन अर्थ ... चिंतन योग्य
जवाब देंहटाएंवृद्धाश्रम में
जवाब देंहटाएंकोई माँ बाप नहीं
सब निरीह .
....बहुत मर्मस्पर्शी..सभी हाइकु गहन अर्थ संजोये..
गहन भाव लिए अच्छे हाइकु ।
जवाब देंहटाएंजो जी रहे है
दोहरा व्यक्तित्व
यकीन नहीं.
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उनके हाथ
फैले है सामने
कुछ तो दे दो.
इन दो हाइकु मेन दूसरी पंक्ति देखिएगा ... 7 वर्ण नहीं बन रहे
उनके हाथ
जवाब देंहटाएंफैले है सामने
कुछ तो दे दो.
mere bhi:)
behtareen!!
सारे हाइकू गहन अर्थ समेटे हुये
जवाब देंहटाएंहर हाइकू ...अपने आप में पूर्ण
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
चिंतनीय हाईकू रचनाएं...
जवाब देंहटाएंसादर...
गहन अर्थ समेटे सभी हाइकु शानदार !!
जवाब देंहटाएंहर इक
जवाब देंहटाएंहाइकू
बस लाजबाब.
आभार रेखा जी.