मंगलवार, 17 जुलाई 2012

हाइकू !

 **** मन बड़ा विच्छिन्न घट रही अमानुषिक घटनाओं से ,  ये कुछ हाइकू उसी विक्षोभ का प्रतिफल हैं. 




खिलौना नहीं 
धधकती आग है 
जल जाओगे। 
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मत सताओ 
कहीं सब्र न टूटे 
विस्फोट न हो।
*********
अरे मानव 
कुछ तो  ऐसा करो 
अमन रहे। 
*********
जब मौन हों 
भीष्म जैसे ज्ञानी भी 
न्याय  कैसे हो? 
*********
 रावण नहीं 
दुशासन है अब 
मर्यादा कहाँ ?
*********
 सखी   तुम्हारी 
सिसक रही जो  है  
किसना  आओ .
*********
अंतरिक्ष में  
जो बेटी गयी है वो 
औरों जैसी है। 
*********
अपराध है 
बेटियों का सौदा 
फाँसी दी जाय .
********
बस भी करो 
कहीं विवश न हों 
नाश के लिए .
*********

   

5 टिप्‍पणियां:

  1. अंतरिक्ष में
    जो बेटी गयी है वो
    औरों जैसी है।
    *********
    अपराध है
    बेटियों का सौदा
    फाँसी दी जाय .
    ********
    बस भी करो
    कहीं विवश न हों
    नाश के लिए .
    सभी एक से बढ़कर एक हाइकू ... बेहद सशक्‍त भाव लिए ...आभार

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  2. सभी हाइकू मन की पीडा को व्यक्त कर रहे हैं।

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  3. दुशासन है तो मर्यादा कहा ...इससे तो रावण ही भला !
    ज्ञानी मौन हो तो अन्याय का राज होना ही है !

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  4. आज के हालातों की सफल बयानी कर पाये...

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  5. जब मौन हों
    भीष्म जैसे ज्ञानी भी
    न्याय कैसे हो?
    *********
    अपराध है
    बेटियों का सौदा
    फाँसी दी जाय .
    ********वैसे तो सभी हाइकु बहुत अच्छे हैं ये दो तो जबरदस्त हैं बधाई आपको

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