सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

सिर्फ अहसास !

प्यार वो अहसास है
जिसको सिर्फ और सिर्फ
दिल महसूस करता है,
फिर वो दिल
जरूरी तो नहीं कि
सिर्फ 
प्रेम करें जिससे उसका ही हो.
प्यार माँ की ममता में बसा है,
भाई भाई भी प्यार में बंधा है. 
प्यार बहन के स्नेह में बसा है,
प्यार तो 
 दोस्त की उस दोस्ती में भी निहित है 
जो हर सुख दुःख में साथ होता है.
फिर क्यों आज,
उस प्यार को बांधने के लिए
हदें बनायीं जा रही हैं.
क्यों इल्जाम उनके नाम जा रहा है? 
जो उम्र की उस दहलीज पर खड़े हैं
जिसे युग ने सदा 
संदेह के नजर से देखा है.
ये सिर्फ आत्मा से जुड़ा है,
दिल से रिश्ते तो बाद में बनते हैं.
वो कल टूट भी सकते हैं 
लेकिन 
वो प्यार जो सिर्फ अहसास है
कभी टूटता नहीं है,
दूर हों या पास 
मिलें या फिर बिखर जाएँ,
उस अहसास से मुक्त 
कभी नहीं होते हैं.
बस वही अहसास जो कभी 
मरता नहीं है, 
इसी लिए कहते हैं कि 
प्रेम अजर अमर है. 
हर युग में
हर काल में
हर देश में
हर मजहब में
अगर इंसान हैं तो
ये अहसास वही होता है
उसी रूप में पलता है.
रिश्तों का नाम से
इसको इल्जाम न दो.
अगर प्यार दोगे तो मिलेगा.
मुफ्त में तो कोई
भीख भी नहीं देता. 

11 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम तो शाश्वत रूप है परमात्मा का . आपका नजरिया मुझे भाया .

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  2. रिश्तों का नाम से
    इसको इल्जाम न दो.
    अगर प्यार दोगे तो मिलेगा.
    मुफ्त में तो कोई
    भीख भी नहीं देता.

    haan!! pyar bina rishte ke bhi jeeya jata hai di..:)

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  3. बिल्कुल मुकेश मैंने तो अपने जीवन में बहुत जिया है, कितने बच्चों ने मेरे कंधे पर रोकर अपना दुःख कहा और हल्के हो लिए. उन्हें दिशा दी और वे चल दिए. आज भी वे मुझे दिल से याद करते हैं और जब भी आते हैं उतने ही प्यार से मिलते हैं.

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  4. प्यार की सुन्दर अभिव्यक्ति, बहुत सुन्दर रचना, बेहतरीन!

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  5. प्यार दोगे तो मिलेगा ...मुफ्त में कोई भीख भी नहीं देता ...
    सही !

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  6. बहुत सुंदर भाव लिए एक अच्छी रचना।

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  7. प्रेम तो शाश्वत रूप है परमात्मा का एक दम सही कहा आपने ।

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  8. आपके ब्लॉग की फीड सही कार्य नहीं कर रही है,

    चेक कीजिए फीड कैसे ठीक करें

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