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गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

उनका ये जीवन!

 

उनका ये जीवन!

उनके झुर्रीदार चेहरे पर 
मुस्कान कभी जब देखी है ,
वो पल बन गये 
जिंदगी के अनमोल पल ।
उन आँखों की चमक में
छलक रही थी ममता ,
वो आलिंगन काँपते हाथों का 
दे गया वो सुकून 
जो जिंदगी भर खोजते रहें
कहीं और नहीं मिलता ।
ये बुजुर्ग चाहते है 
कुछ पल जो हम सिर्फ 
उनको दे सकें 
सुन सकें उनकी यादों का सिलसिला ।
वे कुछ पल जी लें 
उन लोगों की यादों के साथ ,
जो चले गये लेकिन 
जिनके साक्षी हमारे बचपन थे ।
कौन उनको साथ देता है,
हमारे पास वक्त नहीं,
हमारे बच्चों को कोई रुचि नहीं,
तब ही तो वृद्धाश्रम के साथी बहुत अपने होते है।
साथ हँसते है,
साथ आँखे भर लेते हैं,
काँधे पर हाथ धर सांत्वना भी देते है।
शायद यही जीवन है अब।


बुधवार, 24 अप्रैल 2024

आज के रावण !

 

आज के रावण !

युगों पहले 
रावण ने एक पाप किया था,
पराई नारी पर 
प्रतिशोध के लिए
हरण किया था। 
फिर उसके  प्रायश्चित के लिए
पूरे परिवार का संताप भी जिया था।
फिर भी 
आज उसके पुतले को फूँक कर
उसके कर्मों की सजा का
प्रतिफल दुहराया जा रहा है ।
जबकि 
सीता के सतीत्व पर
कभी बुरी  निगाह भी नहीं डाली ।
फिर भी  आज तक 
हम उसका पुतला जलाते है ।
आज कितने उससे पतित रावणों को देख रहे हैं,
चारों तरफ 
वे नाली के कीड़ों की तरह बिलबिला रहे हैं ।
उन्हें हम छू भी नहीं सकते हैं,
जलाना और पकड़ना तो दूर की बात ।
उन्हें सिर्फ मादा चाहिए
वो उम्र में 
माँ, बहन , बेटी या फिर पोती सी ही क्यों न हो ?
वे हवस के मारे ,
मारने के काबिल है ।
कुचल दो ऐसी मानसिकता को 
किसी साँप के फन की तरह ।
लेकिन उसे मानसिकता का क्या होगा ?
जो दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है ,
उसके अंत की भी सोचो ,
कोई तो राह खोजो।