माँ
क्या
एक इंसान भर होती है
फिर क्यों लोग
सगी और सौतेली का ठप्पा लगा देते हैं।
माँ
एक भाव है,
जरूरी नहीं कि उसने
हर बच्चे को जन्म दिया हो,
फिर भी संभव है
कि बहुतों को प्यार दिया हो।
माँ
जो प्यार बाँटती है,
अपने बच्चों में,
पराये बच्चों में भी,
वह न देवकी होती है न यशोदा
फिर भी वह माँ होती है।
माँ
ऐसी भी होती है,
समेट लेती है,
उन बच्चों को भी
जो आँखों में आँसू लिए
नजर आ जाते है।
माँ
वह इंसान है
जिसे हर बच्चे में
अपना ही अंश दिखाई देता है
और प्यार तो वह अपरिमित बाँटती है।
हाँ
माँ
एक भाव ही होती है,
अपने पराए से परे
आँचल पसारे , दिल खोले,
आँखों में प्यार लिए होती है।
सच ही तो है माँ, माँ ही होती है लेकिन मासी भी माँ से कम कहाँ होती है।
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