सोमवार, 18 मई 2020

हर नदिया गाती है !

तट पर बैठो सुनो जरा ,
 हर नदिया कुछ गाती है ।

कल कल करती जल की धारा
रुक कर ये एक बात बताती है।
 
तट पर बैठो सुनो जरा
 हर नदिया कुछ  गाती है ।

निर्मल मन रख जब करना तुम ,
अर्पण हो या तर्पंण शांति लाती है।

 तट पर बैठो सुनो जरा
 हर नदिया कुछ गाती है ।

लहरों  में उसके संगीत बसा है।
सदियों  से इतिहास दिखाती  है ।
 
 तट पर बैठो सुनो जरा
 हर नदिया कुछ गाती है ।

गंगा, यमुना , गोदावरी ,नर्मदा,
अपने जग में नाम बताती है।

तट पर बैठो सुनो जरा,
हर नदिया कुछ गाती है ।

बैठ किनारे खोलो मन की गाठें ,
दर्शन प्राणिमात्र को सिख़ाती है ।
 
तट पर बैठो सुनो जरा
हर नदिया कुछ गाती है ।

समझ सको तो समझ लो जल का,
जीवन में हमें मोल समझाती है।

तट पर बैठ सुनो जरा,
हर नदिया कुछ गाती है ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. रेखा जी, आपने नदियों की व्यथा बहुत ही सुन्दर शाब्दिक अर्थ दिया है l
    https://yourszindgi.blogspot.com/2020/04/blog-post_74.html

    जवाब देंहटाएं
  2. नदी का सुन्दर संदेश व्यक्त कर दिया आपने .

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!! बहुत सुंदर और प्रांजल कविता!!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. अपनी अपनी ख़ुशबू समेटे ... समाज देश की संस्कृति से जुड़ी नदी बहुत कुछ कहती है हमेशा ... सुंदर रचना ।..

    जवाब देंहटाएं
  5. नदिया अपनी कलकल से गूढ़ रहस्य समझाती है
    वाह!!!
    लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह! बहुत सुन्दर और मनभावन रचना, बधाई रेखा जी.

    जवाब देंहटाएं