सोमवार, 27 अप्रैल 2020

हाइकु

दिन में रात
आँधी औ बरसात
माह कौन रे।
***
दहशत में
जीवन हैं हमारे
कोरोना मारे ।
***
बंद घर में
साँस भी घुटती है
जाँ अधर में।
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वो दिखते है
एक रोबोट जैसे
बचाये कैसे ?
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दीप जलाये
बैठी है उसकी माँ
साँसत में जाँ।
***
वो कर्मवीर
खड़े हैं सीना तान
बचा लें जान।
***

15 टिप्‍पणियां:

  1. सारी पंक्तियां बेहद प्रभावित करने वाली हैं दीदी अगर मैं गलत नहीं हूं तो लेखन की इस कला को हाय को कहते हैं शायद

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