हाँ
मैं रिश्ते बोती हूँ ,
धरती पर उन्हें
धरती पर उन्हें
रोपकर
निश्छल प्यार ,
निस्वार्थ भाव,
और अपनेपन की
खाद - पानी देकर
उनको पालती हूँ।
धूप , पानी और शीत से
कभी बहा कर पसीना
कभी देकर सहारा
कभी पौंछ कर आंसू उन्हीं के
लगाकर काँधे
समेत कर सिसकियाँ
बेटी , बहन और बहू के रिश्ते
जीवन में संजोती हूँ ।
बेटे , भाई और दोस्त के
रिश्ते भी उतनी ही शिद्दत से
बोये और संजोये हैं।
कहते हैं लोग
तुम्हरे रिश्ते तो
दुनियां में पनप रहे हैं।
कैसे याद रखती हो ?
नहीं ऐसा नहीं है ,
कभी आंधी , तूफान और बाढ़ में
उड़कर , बहकर और दबकर
रिश्ते भी कुचल जाते हैं।
लेकिन वे मरते नहीं
वक्त उन्हें फिर जीवन देता है।
जड़ें उनकी इतनी गहरी हैं
कि छंटते ही बादल
या फिर दबे हुए
ढेरों मलबे के नीचे
सांस फिर भी ले रहे होते हैं।
वर्षों और दशकों बाद
जब फिर सर उठाते हैं ,
तो मैंने बोया था
सुनकर भूले नहीं होते है ,
फिर से लिपट जाते हैं।
आँखों से गिरते हुए आंसुओं में
वो अंतराल की दीवार
ढह जाती है।
मैं तो वहीँ खड़ी हूँ ,
वटवृक्ष सी
मेरी लताएँ , पौधे
औ'
वृक्ष बन
एक बगीचा बन चुका है।
उसमें बसी
फूलों की खुशबू
महका रही है
मेरे जीवन की बगिया।
हाँ मैं रिश्ते बोती हूँ ,
उनमें जीती हूँ और उनमें रहती हूँ।
सुन्दर!
जवाब देंहटाएंरिश्तों के बिना ठूंठ पेड़ के समान है इंसान
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
प्रभावशाली रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-09-2015) को "प्रबिसि नगर की जय सब काजा..." (चर्चा अंक-2104) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-09-2015) को "प्रबिसि नगर की जय सब काजा..." (चर्चा अंक-2104) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....