गुरुवार, 5 जुलाई 2012

हाइकू !

मंजिलें दिखी
आग का  दरिया है
आ  पार करें।
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 देश के नेता
बरसाती  मेंढक 
बराबर हैं .
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सफेद कुर्ता
राजनैतिक वेश
 काला अतीत  .
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युवा चेहरे
कसकर पकड़ो
बागी बना दो .
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देश का मंत्र
अतिथि देवो भाव
आतंकी .बनो .
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फांसी  उन्हें दो
जो बेगुनाह हैं
वे अतिथि हैं।
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आशा की ज्योति
जो मन में जली है
 जलती रहे।
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 हवा के झोंके
 थक के  हार  गए
 अखंड लौ से .
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 ऑनर कहाँ
 किलिंग तो जुर्म है
  खोया भी है।
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सोच  हमारी 
कभी  बदलेगी  भी
बेटी - बेटे की ।
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