सोमवार, 16 जनवरी 2012

आशा से .....!Aruna



ये दिया

जलाये बैठी हूँ,

स्नेह भरा था जीवन का,

ये जीवन दीप भी

अब कब तक

जल सकता है ?

इसको अब

आओ संभालो तुम,

ये दीप नई पीढ़ी को है।

ये मानवता की माटी से बना,

दया , करुणा की बाती है,

विश्व प्रेम का तेल भरा है,

इसमें बस तेल ही भरना है।

ये यूं ही जलता रहेगा,

बस इसके आगे तुम हाथ लगाये रहना

इसको नफरत, जेहाद या दंगों की

आंधी और तूफान से बचाना होगा।

विश्वास यही है

इस दीपक को

पीढ़ी दर पीढ़ी जलाने वाले

आते रहे हें और आते रहेंगे।

15 टिप्‍पणियां:

  1. दीप से दीप जलते रहे यूँ ही ...
    श्रेष्ठ कामना !

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  2. इस दीपक को
    पीढ़ी दर पीढ़ी जलाने वाले
    आते रहे हें और आते रहेंगे।
    .........यही कामना है ये दीप सदा जलते रहे

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  3. आशा का दीप जलता रहेगा
    एक हाथ से दूजे मे सजता रहेगा
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  4. पीढ़ी दर पीढ़ी ...यूँ ही विचारों की मशाल जलती रहे ...

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  5. अनुपम भाव संयोजन लिये बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  6. आज के युग में ऐसे दीपक जालाने वाले लोगों की बहुत कमी है मगर उम्मीद पर दुनिया कायम है बस यह दीप पीढ़ी दर पीढ़ी यूँ हीं जला करे ईश्वर से यही कामना है भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति....

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  7. सकारात्मक सोच के साथ लिखी गई रचना ..

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  8. आशा और उम्मीद की बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  9. आओ संभालो तुम,

    ये दीप नई पीढ़ी को है।
    सदा से यही हुआ है ..एक पीढ़े ने नव निर्माण का दीप दूसरी पीढ़ी को सौंपा है ..
    सुन्दर प्रस्तुति..
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ..
    kalamdaan.blogspot.com

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  10. बहुत ही खूबसूरती से बात रक्खी है. नयी पीढ़ी से यही सब उम्मीदें हैं. आभार.

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