सोमवार, 26 दिसंबर 2011

जिन्दगी बनी तस्वीर !

सिर्फ एक सांस का फासला होता है
जुड़ी रही तो जीवन
नहीं तो टूटते ही
जिन्दगी तस्वीर में सिमट जाती है
टूटते ही सांसों के क्रम के
सब पञ्च तत्वों में बिखर जाता है,
हम लिए उस पार्थिव को
कभी थे/थी के साथ
अपनों से जुड़े रहते हें
चढ़ जाती है माला
' दिया जल जाता है,
जिन्दगी का यूँ सफर ख़त्म
हमें तो सिर्फ गम ही दे जाता है
ये सिर्फ सांसों के रिश्ते हें
सांसों का नाता है,
फिर किस से कहें
कौन कब आता है और कब जाता है?

14 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही कहा सिर्फ़ शरीरों के नाते हैं फिर पता नही चलता कौन कहाँ चला जाता है।

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  2. यही जीवन है...और यही जीवन का दर्शन!

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  3. ये सिर्फ सांसों के रिश्ते हें
    सांसों का नाता है,
    फिर किस से कहें
    कौन कब आता है और कब जाता है?

    ...यही शास्वत सत्य है ...जीवन के अनबुझे प्रश्नों की सशक्त अभिव्यक्ति..

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  4. jindagi kya hai sirf saanso ke rishte hain yahi sachchaai hai.aapne bakhoobi prastut kiya.

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  5. ये सिर्फ सांसों के रिश्ते हें
    सांसों का नाता है,
    फिर किस से कहें
    कौन कब आता है और कब जाता है? सच कहती पंक्तिया.....

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  6. जीवन और मृत्यु दोनों ही शाश्वत सत्य हैं ... सटीक प्रस्तुति

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  7. लगता है आप अभी तक खुद को संभाल नहीं पायी हैं। ये समय मजबूत बन कर बहन को संभालने का है। भगवान आप को ताकत दे

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  8. जिंदगी आवागमन का चोला है ...फिर भी जब कोई अपना जाता है तो बहुत दुःख होता हैं

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  9. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    कल 28/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, कौन कब आता है और कब जाता है ...

    धन्यवाद!

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  10. Behtareen....puri tarah satya...

    Bahut sundar....

    www.poeticprakash.com

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  11. जीवन किसी के आने और किसी के भी जाने से न शुरू होता है और न ख़त्म होता है. वक़्त मरहम बन कर फिर से जीने के बहने बना देता है और इंसान जीता भी है. यही शायद जीवन है.

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  12. बहुत बढ़िया...
    सच्चा जीवन दर्शन..
    धन्यवाद.

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