विरासतें थक जातीं हैं, पीढ़ियों तक चलते चलते,
और फिर ढह जाती हैं, अकेले में पलते पलते ।
हर कोना हवेली का अब भरता है सिसकियाँ ,
चिराग भी बुझ चुके है , अंधेरों में जलते जलते ।
आत्मा इस हवेली की , भटक रही है बदहवास ,
जाना उसे भी पड़ेगा , अब उम्र के ढलते ढलते ।
उम्र के इस पड़ाव अब , किस तरह बढ़ेंगी साँसें ,
पीढ़ी बदल चुकी हैं , हम पुराने हुए गलते गलते ।
वो बाग महकता था जो फल और फूलों से ,
ठूँठ बने दरख़्त कल के , चुक गये हैं फलते फलते ।
वो वारिस जिनकी किलकारियां , गूँजी थीं मेरे आँगन में ,
छोड़ कर चल दिए हमें , बेगाने बनकर छलते छलते ।
और फिर ढह जाती हैं, अकेले में पलते पलते ।
हर कोना हवेली का अब भरता है सिसकियाँ ,
चिराग भी बुझ चुके है , अंधेरों में जलते जलते ।
आत्मा इस हवेली की , भटक रही है बदहवास ,
जाना उसे भी पड़ेगा , अब उम्र के ढलते ढलते ।
उम्र के इस पड़ाव अब , किस तरह बढ़ेंगी साँसें ,
पीढ़ी बदल चुकी हैं , हम पुराने हुए गलते गलते ।
वो बाग महकता था जो फल और फूलों से ,
ठूँठ बने दरख़्त कल के , चुक गये हैं फलते फलते ।
वो वारिस जिनकी किलकारियां , गूँजी थीं मेरे आँगन में ,
छोड़ कर चल दिए हमें , बेगाने बनकर छलते छलते ।
बहुत सुन्दर, यथार्थपरक
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा और भावपूर्ण।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण छंद ... हर छंद जीवन की सच्चाई बयान करता है ...
जवाब देंहटाएंBest Valentines Day Roses Online
जवाब देंहटाएंBest Valentines Day Gifts Online
Send Teddy Day Gifts Online