औरत की इज्जत
एक चाय की प्याली हो गयी
जिसे
जिसने पिया - तो
अकेले नहीं दोस्तों के संग
क्या ये अब
लत बन चुकी है।
जो इंसान के जमीर में
शामिल नहीं है -
औरत की इज्जत करना।
और समाज उसे
कितनी जलालत भरी
नजर से देखती है,
घुट घुट कर जीने के लिए
मजबूर होती है,
क्योंकि
उस पीड़ा का अहसास
इस समाज ने
कभी किया ही नहीं होता है ,
उसकी नजर में
इज्जत तो सिर्फ
औरत की ही होती है
और
पुरुष के लिए
एक प्याली चाय है।
एक चाय की प्याली हो गयी
जिसे
जिसने पिया - तो
अकेले नहीं दोस्तों के संग
क्या ये अब
लत बन चुकी है।
जो इंसान के जमीर में
शामिल नहीं है -
औरत की इज्जत करना।
और समाज उसे
कितनी जलालत भरी
नजर से देखती है,
घुट घुट कर जीने के लिए
मजबूर होती है,
क्योंकि
उस पीड़ा का अहसास
इस समाज ने
कभी किया ही नहीं होता है ,
उसकी नजर में
इज्जत तो सिर्फ
औरत की ही होती है
और
पुरुष के लिए
एक प्याली चाय है।