बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

हाईकू !

खौफ से भरी 
डबडबाई आँखें 
न बोलें कुछ।
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मासूम बच्ची 
लाश बना दी गयी 
प्रश्न शेष हैं।
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क़ानून तो हैं 
किताबों में रहेंगे 
न्याय न मिला।
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मत दीजिये 
हक मेरे मुझको 
खुद ले लूंगी।
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दौलत रहे 
बेटों को मुबारक 
प्यार हमें दें।
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तुम याचक 
दाता तो मैं रहूंगी 
जन्म जो दिया .
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क्षितिज पार 
गया है क्या कोई भी 
कल्पना ही है। 
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कविता नहीं 
ये दर्द ही  है मेरा 
उबल पड़ा 
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कलम थमी 
इबारत न सही 
स्याही बहेगी।
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13 टिप्‍पणियां:

  1. क़ानून तो हैं
    किताबों में रहेंगे
    न्याय न मिला...

    सच को लिखा है .... सभी हाइकू शशक्त ...

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  2. बहुत ही सार्थक हाइकू,शब्द कम भाव ज्यादा,अतिसुन्दर।

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  3. सभी हाइकु दिल को छू गए रेखा जी हार्दिक शुभ कामनाये

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  4. क़ानून तो हैं
    किताबों में रहेंगे
    न्याय न मिला।
    बहुत बढ़िया रेखा जी ! सभी हाइकू सही निशाने पर लगते हैं ! शुभकामनाएं !

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  5. गिने-चुने शब्द
    अबाध अर्थ संचार
    क्षमता अपार .

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  6. बहुत सुन्दर...
    मन को छूते हुए भाव...

    सादर
    अनु

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  7. बहुत भावपूर्ण हाईकु ...दिल को छू गये...
    ~सादर!!!

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  8. बहुत भावपूर्ण हाईकु ...दिल को छू गये...
    ~सादर!!!

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