बुधवार, 15 अगस्त 2012

हाइकू !

 बदल गए 
आज़ादी के मायने 
गुलाम ही हैं 
********
आज़ादी  की लौ 
जलाई किसी ने थी 
मशालें बनी।
********
शहीदों को ही 
भूल गए जब वे 
आज़ादी कैसी? 
********
आज़ाद देश 
बचपन गुलाम 
युवा  नाकाम .
*******
बेलगाम हैं  
सत्ता के  ये चमचे 
शांति कैसे हो?
********
राजनीति की 
पहली पाठशाला 
छात्र संघ है। 
*******
आज़ादी  नहीं 
 शेष रहने दी तो 
कैसे जियेंगे 
********
आजादी मिली 
शोषण की आजादी
सर्वप्रथम . 
*******
शोषण किया 
देश की संपत्ति का 
अमीर हुए  
*******
 संसद बनी  
 अखाडा नेताओं की 
 फौज खामोश ..
*******

16 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य को उदघाटित करते शानदार हाइकू

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  3. हाइकु एक शिखर को छू गएँ हैं -जो मौन रहे वह मन्त्र प्रधान ,रिमोट चलाए ,सो रानी महान ,स्वतंत्रता के मानी किसे समझाएं श्रीमान ....... .बधाई उत्कृष्ट रचना के लिए .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    बृहस्पतिवार, 16 अगस्त 2012
    उम्र भर का रोग नहीं हैं एलर्जीज़ .
    Allergies

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  4. आज 16/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर हायेकु रेखा जी....
    आज़ादी के पर्व की बधाई आपको.

    सादर
    अनु

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  6. यसवंत जी के माध्यम से आपके ब्लॉग तक पहुंची ...
    बहुत ही मार्मिक लिखा आपने ....
    शहीदों को ही
    भूल गए जब वे
    आज़ादी कैसी?

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  7. हरकीरत जी,

    आपका मेरे ब्लॉग पर बहुत बहुत स्वागत है और आशा करती हूँ कि भविष्य में ये स्नेह बनाये रखेंगी.

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  8. आज़ाद देश
    बचपन गुलाम
    युवा नाकाम .
    @ इस हाइकू में आपने देश की वास्तविकता को पूरा उजागर कर दिया.... वाह!

    बाल-मजदूरी और बेरोजगारी देश की आजादी पर इतराने वालों को शर्मसार करने को काफी है.

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  9. सत्य को उदघाटित करते बहुत सुन्दर हायेकु

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  10. @ आपने 'हाइकू' सुनाये लेकिन मैं नवअभ्यासी होने के कारण से 'हाकूँ' सुनाता हूँ :

    ********
    वस्त्र घुटन
    आज़ादी के मायने
    खुले बटन.

    ********
    आज़ादी क्रोप
    उगाई किसी ने थी
    काटी किसी ने.

    ********
    गांधी की खादी
    महँगी हुई जब
    रोई आज़ादी.

    *******
    आज़ाद देश
    घोटाले का व्यापार
    सभी तैयार.

    ********
    न्यू गांधीवाद
    संवाद ही विवाद
    फोड़ा मवाद.

    *******
    योजना बनी
    सबके लिये शिक्षा
    मूल्यों को छोड़.

    *******
    चोरी कराय
    हेराफेरी कराय
    चिदम चोर. (वित्त मंतरी)

    *******
    फौज मौशाय
    चोरी पर संजीदा
    चोर छिपाए.

    रेखा जी, बहुत कोशिश की 'हाइकू' लिखने की ... शायद कुछ अच्छे बन पड़े हों तो सराहियेगा जरूर.

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  11. बहुत शानदार हाइकु .... आज देश की परिस्थिति का सच्चा खाका खींचते हुये ।


    @@ प्रतुल जी गजब के हाइकु ....

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  12. बहुत सुन्दर हाईकू रचनाएं...
    सादर.

    आदरणीय प्रतुल जी की उच्च स्तरीय हाईकू रचनाएं पढना अपने आप में सुखद अनुभव है...
    सादर.

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  13. आदरणीया रेखा जी,

    संगीता जी और सञ्जय जी ने मेरी पीठ थपथपायी... 'काव्य-क्रीड़ा' की शरारत आगे भी जारी रखने का उत्साह बना रहेगा.

    अपने गुरुजनों का आभारी हूँ.

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