खामोश निगाहें,
खामोश जुबां,
धुंधली रोशनी या बेजुबां
नहीं होती हैं।
सब्र कि हद तक
तो पीती हैं -
तिरस्कार, जलालत और बेरुखी का जहर,
न जाने कौन से लम्हे में
इस सब्र के बाँध में
दरार आ जाये
फिर वह ज्वालामुखी
अगर फट ही गयी तो,
कोई रक्षा कवच
तुम्हें बचा नहीं पायेगा।
उसकी राख और धूल भी
इतनी घातक होगी कि
सांस लेना तो दूर
न देखने देगी औ'
न जीने देगी।
और तुम जुबान से
आग उगलने वालो
उस खामोश ज्वालामुखी में
खाक हो जाओगे,
क्योंकि ये सच है
किसी मासूम की आह से
सोने की लंका भी
खाक हो जाती है।
तब कोई बाहुबली रावण
उसको बचा नहीं पता।
इस लिए सावधान
किसी के अंतर की ज्वालामुखी को
फटने के लिए इंतजाम न करो।
उसके सब्र को
टूटने का इन्तजार न करो।
खामोश जुबां,
धुंधली रोशनी या बेजुबां
नहीं होती हैं।
सब्र कि हद तक
तो पीती हैं -
तिरस्कार, जलालत और बेरुखी का जहर,
न जाने कौन से लम्हे में
इस सब्र के बाँध में
दरार आ जाये
फिर वह ज्वालामुखी
अगर फट ही गयी तो,
कोई रक्षा कवच
तुम्हें बचा नहीं पायेगा।
उसकी राख और धूल भी
इतनी घातक होगी कि
सांस लेना तो दूर
न देखने देगी औ'
न जीने देगी।
और तुम जुबान से
आग उगलने वालो
उस खामोश ज्वालामुखी में
खाक हो जाओगे,
क्योंकि ये सच है
किसी मासूम की आह से
सोने की लंका भी
खाक हो जाती है।
तब कोई बाहुबली रावण
उसको बचा नहीं पता।
इस लिए सावधान
किसी के अंतर की ज्वालामुखी को
फटने के लिए इंतजाम न करो।
उसके सब्र को
टूटने का इन्तजार न करो।