अन्ना तुम आगे चले
तो हम तुम्हारे साथ है।
देश के हालात पर
त्रस्त तो हम सभी हुए
पर गाँधी सा
दृढ संकल्प व्यक्तित्व
नहीं हमारे साथ था।
आप आज आगे खड़े है
करोड़ों आपके पीछे चले हैं.
सदियों पहले त्रस्त थे
फिरंगियों के राज से
क्योंके वे तो व्यापारी थे।
आज हम
अपने ही लोगों से
जो जोंक बनकर
लगातार चूस रहे है
धन हमारा औ' फिर
आँखें तरेर कर कह रहे हैं
कौन है दूध का धुला?
वे जो सरकार हैं, सरकारी हैं
सब कीचड से सने हैं।
पर
वह जो ढोता है बोझा,
खीचता है रिक्शा,
सवारी ढो रहा है,
मीलों पैदल चलकर
सर पर गठरी लिए
शहर में आकर लुट रहा है।
उनकी गाढ़ी कमाई का हिस्सा
ये निगल रहे हैं।
आसमान छूती कीमतें
किसकी देन हैं?
उनकी जो सोने की सलाखों पर ही
चैन से सो पाते हैं
और सोचते हैं
कौन अपना है जिसे
करोडपति बना दे?
जहाँ उठी नजरें कालिख पोते खड़े हैं,
ये जन प्रतिनिधि है --
विग्रह करें तो
जन को छोड़ चुके हैं
चुनाव जीतने के बाद ही,
उनके प्रति दायित्व भी
बस ये निधि के लिए
जी रहे हैं।
जब तक पद पर हैं
पैसे ही खा रहे हैं और
पैसे ही पी रहे हैं।
उनके सरमाये भी तो
उसी में पनपकर
सर पर छत बनकर
अड़े खड़े हैं।
क्या बिसात इंसान की
उनकी गर्दन तक पहुँच जाएँ।
कौन किसको करेगा बेनकाब
अपनी नकाब के हटने के डर से
खामोश उन्हें बचाने की
जुगत में सभी जुटे हैं।
कौन किसकी करे शिकायत
कौन अब परदा उठाये,
लुटने के लिए तो बस
आम जनता ही लुटी है।
इसी लिए अन्ना तुमने
पीछे यही जनता जुटी है।
आगे रहो तुम
पीछे तुम्हारे है हम सभी।
जन -जन को जगाया है तुमने
ये धर्म युद्ध बन जायेगा।
एक दिन फिर गूंजेगा यही
सत्यमेव जयते ! सत्यमेव जयते!
भ्रष्टाचार से त्रस्त आम आदमी के दर्द को बहुत प्रभावी ढंग से उकेरा है. आज सभी को इस मुहिम में अपना योगदान देना होगा.
जवाब देंहटाएंखुद ईमानदार होते हुए भी जब इंसान गरीब होता हैं और बेईमान को अमीर देखता हैं तो शायद रास्ता दिखना बंद हो जाता हैं
बेहतरीन अभिव्यक्ति! आज सारा देश अन्ना के साथ है!
जवाब देंहटाएंआज हम
जवाब देंहटाएंअपने ही लोगों से
जो जोंक बनकर
लगातार चूस रहे है
धन हमारा औ' फिर
आँखें तरेर कर कह रहे हैं
कौन है दूध का धुला?
बहुत सही चित्रण ....जनता के आगे सरकार को झुकना ही होगा ...सार्थक अभिव्यक्ति
आद. रेखा जी,
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सामयिक पोस्ट के लिए आभार!
अन्ना एक क्रांति दूत बन कर आये हैं ,समय आ गया है हमें नींद से जागने का ! कहीं देर न हो जाय !
सही चित्रण ……………सामयिक पोस्ट्।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना!
जवाब देंहटाएं--
जनता का साथ मिला!
जीत हुई लोकतन्त्र की!
आगाज अच्छा हो तो अंजाम अच्छा होने का अनुमान तो लगाया ही जा सकता है . भ्रष्ट नेताओ की अच्छी खासी पोल खोल दी है आपने
जवाब देंहटाएंधन हमारा औ' फिर
जवाब देंहटाएंआँखें तरेर कर कह रहे हैं
कौन है दूध का धुला?
बहुत सही चित्रण .....सार्थक अभिव्यक्ति