रविवार, 3 अक्टूबर 2010

मेरी 100वी कविता !

 पाँव रखे जिस धरती पर
परिचय मांग रही थी
लिखित कागजों में
जाति  , धर्म, कर्म औ' देश का
प्रमाण देना जरूरी था.
फिर दिया भी
किन्तु उस हद से बाहर
उस जमीं पर खड़े
कुछ लोग
जो हमारे अंश थे,
जिनकी जड़ें जुड़ी थी
अब भी अपनी धरती से
अपनी बोली, भाषा से
बाहें फैला कर मिले
लगे गले से 
फिर लगे रहे
शायद खुशबू अपनी माटी की
उन्हें लुभा रही थी.
भाषा से हम जुड़े सभी थे 
ख़ुशी में निकले जो शेर जुबां से
कहकहे लगाये,
वाह वाह करने लगे.
छू लिया गर अंतर किसी का
पलकें भींगी थी  साथ साथ 
कहाँ टूटे रिश्ते वतन से
वे भाषा भूले नहीं थे.
वहाँ मंदिरों में रामायण के दोहे
रोज पढ़े जाते है.
गीता के श्लोकों में
सार जीवन का सभी पाते हैं.
कुरान की आयतें भी 
पढ़ रहे सभी थे.
हम वतन, हम जबां अब भी हैं
वक्त ने पहुंचा दिया हो
हमें कहीं भी
कलमें हमारी रोज लिखती 
अपनी ही भाषा में,
हिंदी में बस हिंदी में,
ये कविता, गज़लें और गीतों से
महफ़िल सजाती रहती हैं
हम भारत के वासी हैं तो
हिंदी कैसे भूलेंगे.
हम जिन्दा हैं तो
हिंदी भी जिन्दा रहेगी.
एक दिन विश्व भाषा बन
चमकेगी और रचेगी एक इतिहास,
मेरी इस भविष्य वाणी का 
करना मत उपहास.
ये पहचान हमारी थी , आज है 
औ' कल भी रहेगी.
ये निकली यहाँ से
ये दुनियाँ सभी कहेगी.

24 टिप्‍पणियां:

  1. .

    एक दिन विश्व भाषा बन
    चमकेगी और रचेगी एक इतिहास,
    मेरी इस भविष्य वाणी का
    करना मत उपहास.
    ये पहचान हमारी थी , आज है
    औ' कल भी रहेगी.
    ये निकली यहाँ से
    ये दुनियाँ सभी कहेगी.
    .....................

    मुझे भी विश्वास है।

    .

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  2. "हम जिन्दा हैं तो
    हिंदी भी जिन्दा रहेगी.
    एक दिन विश्व भाषा बन
    चमकेगी और रचेगी एक इतिहास"

    आमीन

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  3. आपकी १०० वीं पोस्ट के लिए बधाई ....

    अच्छी प्रस्तुति ..हमें भी विश्वास है कि हिंदी विश्व की भाषा बनेगी

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  4. कविताओं की शतक की बधाई।
    अब संग्रह की तैयारी.....!

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  5. आपकी १०० वीं पोस्ट के लिए बधाई .अच्छी प्रस्तुति .

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  6. हमारी भाषा जन -जन की भाषा होगी
    विश्वास बना रहेगा ...

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  7. आदरणीय रेखा Maa
    नमस्कार !

    आपकी १०० वीं पोस्ट के लिए बधाई ....

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  8. १०० वीं पोस्ट के लिए
    बहुत बहुत
    बहुत बहुत
    बहुत बहुत
    बहुत बहुत
    .............बधाई

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  9. शुक्रिया!!! बहुत खूब.. बहुत सी रचनाओ को पढा.. सब पर तो टिप्पणी नही कर पाया लेकिन सभी को यंही से मेरा सलाम..जय हो

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  10. कविताओ के शतक के लिए आप को बधाई . आप की कलम हमेशा एक सामयिक या जटिल विषय पर चलती है जो समाज के लिए उत्प्रेरण है .

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  11. 100वी कविता की बधाई और ऐसे कई शतकों के लिए शुभकामनायें ...!

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  12. एक दिन विश्व भाषा बन
    चमकेगी और रचेगी एक इतिहास,
    मेरी इस भविष्य वाणी का
    करना मत उपहास.
    ये पहचान हमारी थी , आज है
    औ' कल भी रहेगी.
    ये निकली यहाँ से
    ये दुनियाँ सभी कहेगी.

    khubshurat prastuti, umda!!

    Rekha di....aap to Sachin ban gaye...:D

    congratulations for unbeaten century.....ham aapke 1000th kavita ka intzaar karenge....:)

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  13. ये निकली यहाँ से
    ये दुनियाँ सभी कहेगी.
    बिल्कुल जी वो दिन अब दूर नही।
    100 वीं पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई॥आप इसी तरह सफ़लता के मुकाम छूती रहें यही कामना है।

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  14. १०० वी कविता की बधाई ....
    हिन्दी भाषा ज़रूर विकसित हो रही है औरे होगी ...

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  15. "हम जिन्दा हैं तो
    हिंदी भी जिन्दा रहेगी.
    एक दिन विश्व भाषा बन
    चमकेगी और रचेगी एक इतिहास"
    बहुत सुन्दर. सौवीं कविता पर बधाई.

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  16. हुत सुन्दर रचना, शतक पूरा करने की बधाई!

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  17. "हम जिन्दा हैं तो
    हिंदी भी जिन्दा रहेगी.
    एक दिन विश्व भाषा बन
    चमकेगी और रचेगी एक इतिहास"
    वाह बहुत बढ़िया...एकदम हर हिन्दीभाषी के दिल कि आवाज़..
    १००वी कविता की बहुत बहुत बधाई ...बस अगला शून्य जल्दी ही लगे .

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  18. रेखा जी 100 वीं कविता पर आपको बहुत बहुत बधाई।
    क्षमा करें। इस विषय पर मेरा केवल इतना ही कहना है-

    सब भाषाओं का हो विकास

    क्‍योंकि सबका है यह आकाश

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  19. आपकी १०० वीं पोस्ट के लिए बधाई .अच्छी प्रस्तुति .

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  20. हिंदी भी जिन्दा रहेगी.
    एक दिन विश्व भाषा बन
    चमकेगी और रचेगी एक इतिहास,
    is 100vi rachna ki badhaai

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  21. रेखा जी एक बहुत ही शशक्त रचना के साथ आपने कविताओं का शतक लगाया है...बहुत बहुत बधाई...

    नीरज

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  22. 100वें कविता पर बहुत बहुत बधाई। देर से आने के लिये क्षमा । आजकल नेट की स्पीड बहुत कम है। इस लिये सब जगह जा नही पा रही हूँ। धन्यवाद।

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  23. आपकी १०० वि पोस्ट पर बधाई.
    हमारी हिंदी महान.

    सुंदर रचना.

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