hindigen

जीवन में बिखरे धूप के टुकड़े और बादल कि छाँव के तले खुली और बंद आँखों से बहुत कुछ देखा , अंतर के पटल पर कुछ अंकित हो गया और फिर वही शब्दों में ढल कर कागज़ के पन्नों पर. हर शब्द भोगे हुए यथार्थ कीकहानी का अंश है फिर वह अपना , उनका और सबका ही यथार्थ एक कविता में रच बस गया.

बुधवार, 13 नवंबर 2024

समय की बात!

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 उम्र खर्च हो गयी बिना सोचे-समझे, बहुत पैसे कमाने के लिए। धनी आज बहुत हैं, रखने की जगह नहीं, बस चुप हो गया। वक़्त ही नहीं मिला संभालें, जैसे...
शनिवार, 2 नवंबर 2024

स्वयंभू !

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  स्वयंभू  बनने की होड़ में  सर्वनाश पर तुले हैं  सब कुछ मिटा कर, हम किसको दिखाएंगे अपने वर्चस्व? कौन करेगा हमारी जय जयकार? एक आम इंसान क्या ...
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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

हारा हुआ वजूद!

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  #हारा हुआ वजूद! वह चल दिया , जब दुनिया से, कुछ तो रोये, लहू के आँसू दिल से बहे खारे आँख से। एक हारा हुआ इंसान था वो सब कुछ दे गया, जो अपने...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 3 सितंबर 2024

यादों का प्रवाह!

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यादें  बस एक प्रवाह होती हैं, बहते हुए समंदर में  जीवन के गुजर गए  वक्त की गवाह होती हैं।  एक आती है  तो  उसी से जुड़ी सैकड़ों  यादें एक सैलाब...

संशय मन का!

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रोज उठाती हूँ कलम,  कुछ नया रचूँ,  शुरू होती है जंग, शब्दों और भावों में, नहीं नहीं बस यही रुकूँ,  समझौता तो हो जाए। शब्दों का गठबंधन  भावों...
सोमवार, 19 अगस्त 2024

सूना रक्षाबंधन!

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ये है ऐसा रक्षाबंधन आँसुओं से भरी आँखें हाथ सजी थाली लिए  जलाये दीप रखी उसमें राखियाँ वो मीठी सी प्यार  पगी  मिठाई और रोली चावल सब उदास से स...
रविवार, 18 अगस्त 2024

ओ गांधारी अब तो जागो!

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ओ गांधारी अब तो जागो, जानबूझ कर  मत बाँधो आँखों पर पट्टी, सच को अब  देखने  का  साहस करना होगा। कुछ करना होगा,   सिर्फ गला फाड़कर चीखने से  आँ...
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मेरे बारे में

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रेखा श्रीवास्तव
कानपुर , UP, India
मैं अपने बारे में सिर्फ इतना ही कहूँगी कि २५ साल तक आई आई टी कानपुर में कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोजेक्ट एसोसिएट के पद पर रहते हुए हिंदी भाषा ही नहीं बल्कि लगभग सभी भारतीय भाषाओं को मशीन अनुवाद के द्वारा जन सामान्य के समक्ष लाने के उद्देश्य से कार्य करते हुए . अब सामाजिक कार्य, काउंसलिंग और लेखन कार्य ही मुख्य कार्य बन चुका है. मेरे लिए जीवन में सिद्धांत का बहुत बड़ी भूमिका रही है, अपने आदर्शों और सिद्धांतों के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया. अगर हो सका तो किसी सही और गलत का भान कराती रही यह बात और है कि उसको मेरी बात समझ आई या नहीं.
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