मंगलवार, 6 जून 2023

पैमाना !

 जीवन में

खुशियों का पैमाना 

अपना अपना होता है ।

यह वक्त भी 

तय करता है ,

और हालात भी ।

दुधमुँहे को छोड़

माँ काम पर जाती है ।

उस नन्हे की भूख 

खोजती है अपनी माँ को ,

अचानक माँ को पाकर

जो खुशी उसे मिली 

बयान नहीं उसका ।

तपती सड़क पर

रिक्शा खींचते हुए को

कहीं दिख जाये

जलधारा 

उसकी आँखों की चमक

उसको मिल जाती

खींचने की नयी शक्ति 

जो खुशी उसे मिली

बयान नहीं उसका ।

माँ का दुलारा / दुलारी

जब आते हैं

छुट्टियों में

चाहे वे कितने ही बड़े हों

जो खुशी माँ की होगी

बयान नहीं उसका ।

आफिस के ए सी चैंबर में

आराम से बैठे

जब पाते है अपना हिस्सा

कितना भी कमा रहे हों

इसके बिना बरकत कहाँ ?

उस मन की खुशी 

बयान नहीं उसका ।

कहाँ तक बयान करें 

ये खुशी के पल 

बाजार में नहीं मिलते 

खरीद कुछ भी लें

लेकिन ये

उपहार में नहीं मिलते ।