tag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post8792114363402803977..comments2023-10-29T07:25:39.792-07:00Comments on hindigen: नाम रोशन कर्मों से!रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-53644827970595630532010-05-20T02:19:01.672-07:002010-05-20T02:19:01.672-07:00बिलकुल सही बात कही है इस रचना के माध्यम से ..हमें ...बिलकुल सही बात कही है इस रचना के माध्यम से ..हमें भी बस दादा जी तक का ही नाम पता है...उनके पिता का नाम नहीं मालूम....<br /><br />कर्म ही हैं जो अपनी पहचान छोडते हैं...सशक्त अभ्व्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-18810766726021603392010-05-06T22:57:41.437-07:002010-05-06T22:57:41.437-07:00आशीष जी,
यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई की ...आशीष जी,<br /> यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई की आप ईट के ही छात्र रहे हैं. जहाँ भी हों एक vertual relation तो होता ही है अपने संस्थान से. <br /> गिरिराज किशोर तो दूसरा कोई बन ही नहीं सकता, प्रयास कर रही हूँ, वैसे IIT की हिंदी सेल इस दिशा में काम कर रही है और हाँ अंकल SAM मेरे काम में कम ही आ पाते हैं. उनसे परिचय तो बेहद जरूरी है लेकिन बिना हिंदी जाने कुछ नहीं होता.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-12315071259633193132010-05-06T05:34:14.676-07:002010-05-06T05:34:14.676-07:00गिरिराज किशोर के बाद IIT में हिंदी के लिए नई आशाक...गिरिराज किशोर के बाद IIT में हिंदी के लिए नई आशाकिरण .अंकल SAM का प्रभाव कम होने लगा है क्या CAMPUS में?? रश्मि जी की बातो से सहमत , लेकिन मुझे अपने प्र - प्रपिता का नाम याद है .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-37788732956669317282010-05-06T05:09:29.774-07:002010-05-06T05:09:29.774-07:00बिलकुल सही कहा ........नाम रोशन अपने कर्मो से ही ह...बिलकुल सही कहा ........नाम रोशन अपने कर्मो से ही होता है .ये सिर्फ कुछ सड़ी गली पुरानी मान्यताएं हैं जिन्हें हम पीट रहे हैं अब वक़्त आ गया है कि उससे इतर कुछ सोचें और करें ताकि सच में नाम रोशन हो ............... बेटा या बेटी से नहीं.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-57024519816947962952010-05-06T04:13:58.063-07:002010-05-06T04:13:58.063-07:00घुघूती बासूती जी,
आपने स...घुघूती बासूती जी,<br /><br /> आपने सही कहा, तभी तो लोग कुल दीपक की आशा में लड़कियों को जन्म देते रहते हैं और उनकी परवरिश कैसी होती है? कुल दीपक के आते ही, बस वह तो गिनती के लिए संतानें होती हैं. वे वही तो कर्म करते रहते हैं. मानव जीवन की सार्थकता को समझने की कोशिश ही नहीं करता इंसान.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-40765939676274553602010-05-06T03:56:10.153-07:002010-05-06T03:56:10.153-07:00एकदम दिल कि बात कि है रेखा जी ! काश कि सब ये समझ प...एकदम दिल कि बात कि है रेखा जी ! काश कि सब ये समझ पाते..सुन्दर भावपूर्ण कविता.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-67178397123683672612010-05-06T03:54:07.879-07:002010-05-06T03:54:07.879-07:00कुलदीपक एक आशा है जबकि स्वयं अपना नाम रौशन करना एक...कुलदीपक एक आशा है जबकि स्वयं अपना नाम रौशन करना एक काम है। जब आशा से काम चल जाए तो काम क्यों किया जाए।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-57906336452786587922010-05-06T03:38:51.339-07:002010-05-06T03:38:51.339-07:00उम्दा प्रस्तुती /लड़कियां किसी भी मामले में कम नहीं...उम्दा प्रस्तुती /लड़कियां किसी भी मामले में कम नहीं ,लेकिन समाज में बैठे भ्रष्ट और कमीने लोगों की वजह से लड़कियों के बारे में इस तरह की सोच बनाई जा रही है /ऐसे लोगों को सरे आम जूते मारने की जरूरत है /honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-38486445032058889052010-05-06T03:26:53.788-07:002010-05-06T03:26:53.788-07:00सहमत.सहमत.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-33294474015218891712010-05-06T03:10:09.801-07:002010-05-06T03:10:09.801-07:00बहुत अच्छी कविताबहुत अच्छी कविताSANJEEV RANAhttps://www.blogger.com/profile/02649434617771451883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-21887348719910542172010-05-06T03:02:22.309-07:002010-05-06T03:02:22.309-07:00बहुत ही अच्छी कविता..एकदम सटीक...आज की व्यवस्था प...बहुत ही अच्छी कविता..एकदम सटीक...आज की व्यवस्था पर प्रहार करती हुई. दादा तक का नाम लोग बता देंगे..पर उसके आगे..?? फिर भी कुल दीपक और खानदान का नाम रौशन जैसी बातें करते हैं. कुछ लोग बदले हैं पर समाज की पूरी तस्वीर बदलनी चाहिए .कब मिलेगा लड़कियों को सिर्फ जीने का भी अधिकार और थोड़ा सा सम्मान :(rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com