tag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post6951433654638206291..comments2023-10-29T07:25:39.792-07:00Comments on hindigen: माँ से मायका !रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-24240328226606626862015-06-23T02:29:03.885-07:002015-06-23T02:29:03.885-07:00'म' से 'मायका '
एक कहावत है न ,
मा...<br />'म' से 'मायका '<br />एक कहावत है न ,<br />माँ से मायका। .<br /><br /><br /><br />बहुत सुंदर शब्द ,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .!शुभकामनायें. आपको बधाई<br />कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-46775683171929240392015-06-22T20:23:42.860-07:002015-06-22T20:23:42.860-07:00बहुत सुन्दर व भाव पूर्ण सृजन
मा हो ती ही एसी हैबहुत सुन्दर व भाव पूर्ण सृजन<br />मा हो ती ही एसी हैTayal meet Kavita sansarhttps://www.blogger.com/profile/17952442465975870232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-91786930832576996312015-06-22T02:27:06.063-07:002015-06-22T02:27:06.063-07:00अब नहीं रही वो ललक
नहीं आती है
मेरी आँखों में वो...अब नहीं रही वो ललक <br />नहीं आती है <br />मेरी आँखों में वो चमक <br />क्यों माँ ?<br />क्या जो कहा गया था वो<br />वो सच ही है न। <br />क्योंकि वो अब <br />आगे वाली पीढ़ी के लिए <br />मायका बन चुका है। <br />मेरा मायका तो माँ <br />तुम्हारे साथ ही चला गया। <br />मैं इस शब्द के साथ <br />बहुत अकेली रह गयी।..........<br /><br />रेखा दी न जाने कौन सा दिल लेकर आपने इस <br />रचना को जन्म दिया, आपके भेजे गए पोस्ट को सिर्फ <br />पढ़कर मैं रो पड़ी , जबकि इस लम्हा को <br />गुजारा नहीं है , भरा है माँ के प्यार से <br />आँचल मेरा , सिर्फ एक कल्पना ने मुझे <br />रुला दिया | <br /><br />सच कहा, मायका --- माँ के द्वारा बनाया<br />संवरा घर होता है जहाँ बेटियों का स्वागत<br />माँ दिल के द्वार खोलकर आँखों में असीम प्यार<br />भरकर करती है, आखिर उसका ही तो टुकड़ा होती<br />है बेटियां ....<br /><br /> ऐसे सभी होते हैं मायके में , सही बात है ,पर<br />माँ कोई नही होती ,माँ के जाने <br />के बाद मायका मायका न कहला कर<br />बन जाता है भाई का घर, भाभी का घर <br />माँ के साथ ही चला जाता है मायका | <br />निष्प्राण शरीर सा माँ का घर<br />भी देता है तो सिर्फ उन यादों को जिन्हें माँ<br />के साथ बेटियों ने गुज़ारे होते हैं बेटियों की हसरतें<br />, उनके दिल की हर बात खुलती है तो सिर्फ <br />माँ के सामने | माँ आईना की तरह जो होती<br />है , माँ के सामने जाते ही सबकुछ सामने होता है | नग्न<br />हो जाती है माँ के सामने हर ख्वाहिशें ,हर सपने हर शिकवे |<br /><br />इस मार्मिक और उम्दा रचना के लिए आपको <br />इस छोटी बहन का प्रणाम दी .....<br />डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.com