tag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post5129825174159379942..comments2023-10-29T07:25:39.792-07:00Comments on hindigen: मानव और मानवतारेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-73471261619516730772011-02-01T22:15:19.097-08:002011-02-01T22:15:19.097-08:00वाकई आज कल होता तो यही है !वाकई आज कल होता तो यही है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-12423770631031896472011-01-17T22:09:46.078-08:002011-01-17T22:09:46.078-08:00मानवता की छाया में बैठ कर
लोग धूप से बच सकते हैं,
...मानवता की छाया में बैठ कर<br />लोग धूप से बच सकते हैं,<br />किन्तु इस छायादाता को<br />कोई छाया नहीं मिलती है ..<br /><br />सच कहा है ... आज जो लोग मानवता की सेवा करते हैं उन्हें बस वाह वाही ही मिलती है ... जरूरत पढने पर उनके काम कोई नहीं आता ... स्वार्थ भरी दुनिया है ये .... अच्छा लिखा है बहुत ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-66321059622178012502011-01-17T21:43:42.014-08:002011-01-17T21:43:42.014-08:00एक कटु सत्य मगर फिर भी ढोने को मजबूर हैं…………बेहद स...एक कटु सत्य मगर फिर भी ढोने को मजबूर हैं…………बेहद सशक्त रचना।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-27790758199400935862011-01-17T08:50:08.188-08:002011-01-17T08:50:08.188-08:00कविता के माध्यम से आपने ने जो मानव चेहरा उकेरा है ...कविता के माध्यम से आपने ने जो मानव चेहरा उकेरा है वह इक दम सच है, अच्छी कवितस पढ़वाने के लिए आभार आपका ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-87833176847604107882011-01-17T05:03:00.706-08:002011-01-17T05:03:00.706-08:00आज स्वार्थ से परे कुछ भी नहीं ...मानवता किताबी बा...आज स्वार्थ से परे कुछ भी नहीं ...मानवता किताबी बातें रह गयीं हैं ...अच्छी अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-58563774297658528742011-01-17T04:52:13.368-08:002011-01-17T04:52:13.368-08:00बहुत सुन्दर बिम्ब ..उम्दा कविता.बहुत सुन्दर बिम्ब ..उम्दा कविता.मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-47158308851290246152011-01-17T04:13:46.925-08:002011-01-17T04:13:46.925-08:00लेकिन यह सम्भव नहीं है!
हमारे वश में होता तो मानवत...लेकिन यह सम्भव नहीं है!<br />हमारे वश में होता तो मानवता और मानव जैसे शब्दों का वजूद ही मिटा देते!<br />--<br />बहुत सशक्त लिखा है आपने!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9061804611166351828.post-75787987691452305232011-01-17T03:57:04.539-08:002011-01-17T03:57:04.539-08:00आदरणीय रेखा श्रीवास्तव जी
नमस्कार !
आप बहुत खूबसूर...आदरणीय रेखा श्रीवास्तव जी<br />नमस्कार !<br />आप बहुत खूबसूरत लिखती हैं !<br />बेहद उम्दा लेखन !बहुत बधाई !<br />बस...अल्फ़ाज़ तलाश रहे हैं तारीफ़ के लिए.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com