क्षमा करें, इस ब्लॉग में जिस पेज को आप खोज रहे हैं वह मौजूद नहीं है.
क्षमा करें, इस ब्लॉग में जिस पेज को आप खोज रहे हैं वह मौजूद नहीं है.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
जीवन में बिखरे धूप के टुकड़े और बादल कि छाँव के तले खुली और बंद आँखों से बहुत कुछ देखा , अंतर के पटल पर कुछ अंकित हो गया और फिर वही शब्दों में ढल कर कागज़ के पन्नों पर. हर शब्द भोगे हुए यथार्थ कीकहानी का अंश है फिर वह अपना , उनका और सबका ही यथार्थ एक कविता में रच बस गया.